We must know

We must know that....


1. Satguru shree Bawa Lal Ji and Satguru Shree Guru Nanak dev ji are child of two real sisters ( Both are Mosere Brothers).

2. Lal Killa situated at the Delhi ( Capital of India ) , Name LAL KILLA taken from the name of Shree Bawa Lal Dayal Ji Maharaj.

3. There is also a 2nd GANGA River in Saharanpur, U.P blessed/born by Shree 1008 Bawa Lal Dayal Ji Maharaj.

4. The real Samadhi of Bawa Lal Dayal ji maharaj is situated at Rampur Dham but apart from this all of us know Maharaj is everywhere and also in our heart.

5. Satguru Shree Jagdish Dass Ji  ( Shishya of Bawa Lal Dayal Ji ) make alive a Bachada ( Child of a cow) then just think how much power Shree Bawa Lal Dayal ji will have, major point is don't loose your faith in any situation, we must keep strong faith on Shree Bawa Lal Dayal Ji Maharaj.

6. There is another pawan bawli/boali like as in Dhiyanpur Dham in Rampur Darbar.

बचपन में बावा लाल जी गौएँ चराने का लिए जाते थे परन्तु दुसरे बचों से अलग वो हमेशां धर्म और अलोकिक प्राकृतिक की तरफ आकर्षित होते और ध्यान मगन हो जाते थे | जब भी बावा लाल जी प्रकृति की गोद में ध्यान मगन हो जाते तो प्रभु भी सूरज की तेज किरणों से बचाने के लिए शेषनाग के रूप में उन पर छाया करते | बोलो जय जय श्री बावा लाल दयाल जी महाराज |

मिलाप सतगुरु चैतन्य महाप्रभु 
एक रोज चैतन्य महाप्रभु जी अपने शिष्यों क साथ वहां ( जहाँ श्री लाल जी धयान मगन थे ) से गुजर रहे थे | तब चैतन्य महाप्रभु ने एक वृक्ष की छाया में विश्राम किया और योगशक्ति द्वारा पैरों की अरियों के मध्य अग्नि प्रज्वलित की तथा भोजन बनाने लगे | जब बावा लाल जी उठे तो वे उन्हें ( चैतन्य प्रभु को ) देख कर अचंभित रह गये तथा उनके पास गये | तब चैतन्य प्रभु ने उन्हें चावल के ३ दाने प्रसाद रूप में खिलाये जिनका सेवन करते ही बावा लाल जी की अंतर्ज्योति प्रकाश उत्पन हो गया तथा वे जीवन रूपी सचाई को पा गये तब चावल के ३ दानो ने बावा लाल जी का साक्षात्कार कर उन्हें परमहंस योगिराज बावा लाल दयाल जी बनाया तथा बावा लाल जी ने चैतन्य महाप्रभु को गुरु रूप में सवीकार कर नमन किया तब परमहंस सतगुरु श्री चैतन्य महाप्रभु वहां से अंतर धयान हो गये | बोलो जय जय श्री बावा लाल दयाल जी महाराज |


आठ वर्ष की उम्र में तब बावा लाल जी का चित घर और जीवन की मोहमाया से दूर हो गया और उन्होंने घर से प्रस्थान कर लिया | उस के उपरान्त बावा लाल जी ने तप करते हुए सम्पूर्ण पाकिस्तान अवम भारत का भ्रमण किया | बोलो जय जय श्री बावा लाल दयाल जी महाराज |

माँ गंगा का अवतरण 
अपने जीवन काल में बावा लाल जी बहुत समय शहर सहारनपुर प्रान्त उत्तरप्रदेश वास किया | श्री बावा लाल जी अपनी दिनचर्या में रोज योगशक्ति द्वारा गंगा स्नान के लिए हरिद्वार जाया करते तथा गंगा नदी में स्नान करते, एक बार बावा लाल जी का स्वस्थ्य ठीक न होने के कारन वे गंगा स्नान के लिए नहीं गये तब गंगा मैया सवयंम उनके आश्रम में प्रकट हुयी तथा न आने का कारन जानकार बावा लाल जी को आशीर्वाद देते हुए कहा हे प्रभु आज से मै आप क कमंडल में वास करुँगी जब कभी आप गंगा स्नान के लिए आने में असमर्थ हों तो आप कमंडल का जल जहाँ भी डालेंगे में वहीँ अवतरित हो जाउंगी तब बावा लाल जी द्वारा कमंडल का जल सहारनपुर स्थित लाल बाड़ा मै डालने पर गंगा माता का वहां अवतरण हुआ जो वर्तमान मै भी वहां विद्यमान है | बोलो जय जय श्री बावा लाल दयाल जी महाराज |

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